8TH SEMESTER ! भाग-13 ( Worst Days of My Life)
"मुझे प्यास नही है..."खून मेरा अब भी गरम था....
"पी ले पानी ,क्यूंकी इसके बाद मैं जो करने वाला हूँ उससे तेरा गला सूख जाएगा..."
उसके बात का मैने कोई जवाब नही दिया और वो अपने कंधे उचकाता हुआ बोला".. ठीक है...तेरी मर्ज़ी...."
उसने अपने जेब से सिगरेट की एक पैकेट निकाली और भूपेश को अपने पास बुलाकर रूम मे जल रहे बल्ब को ऑफ करने के लिए कहा....
"वापस ऑन कर जाके..."अंधेरे मे धुआ उड़ाते हुए उसने भूपेश से वापस बल्ब को ऑन करने के लिए कहा और जब बी. एच. यू. ने वापस बल्ब को ऑन कर दिया तो वो बोला....
"अब तू 100 बार बल्ब को ऑन करने के बाद बिस्तर पर आकर बैठ जाना और फिर उठकर बल्ब को ऑफ कर देना...चल शुरू हो जा...."
भूपेश की पहले से ही सिट्टी-पिटी गुम थी ,वो क्या बोलता...बिना कुछ बोले वो अरुण के बेड से बोर्ड तक 200 चक्कर मारने मे लग गया.....
"ले पी..."ऑन-ऑफ होते हुए बल्ब के बीच मे उसने मुझे एक सिगरेट दिया....
"मेरी आदत नही है..."
"इसीलिए तो पिला रहा हूँ, इंजीनियर साहेब...जब तक नशा पत्ती नही करोगे तो इंजीनियर कैसे बनॉगे.... True Engineer की यही परिभाषा है... चाय, सिगरेट और दारु.... जैसे रोटी, कपड़ा, मकान रहता है ना.. वैसिच... "
मज़बूरी मे सिगरेट को मुँह से लगाना पड़ा, भैया के द्वारा दी गयी नसीहत मे ये भी था कि मैं सिगरेट और शराब से दूर रहूं, लेकिन यदि मैं उस वक़्त ये सब नही करता तो उनके द्वारा दी गयी दूसरी नसीहत ,जिसमे उन्होने कहा था कि लड़ाई - झगड़ा मत करना, वो टूट जाती..... इसलिए स्तिथि ऐसी थी की एक को जीवित रखने के लिए एक को मारना जरूरी था.
"धुआ अंदर ले...मुँह मे रखकर तो पहली-दूसरी क्लास के लौन्डे भी सिगरेट पी लेते है..."
मैने वैसा ही किया, सिगरेट के धुए को अंदर लिया...सिगरेट के कश को अंदर क्या खींचा, पूरा का पूरा कलेजा जैसे बाहर आ गया हो... मैं वही अपना सीना पकड़ के जोर -जोर से खांसने लगा.....
"एक कश और मार..."जब मै कुछ देर तक खसने के बाद शांत हुआ तो उसने फिर कहा
मैने फिर कश अंदर लिया और नतीज़ा वही पहले जैसे ही रहा... कलेजा फिर बाहर आने को हुआ
"एक कश और..."
तीसरी बार हिम्मत तो नही हो रही थी, लेकिन उस वक़्त कोई दूसरा रास्ता भी नही... बी. एच. यू. अब भी बल्ब को ऑन-ऑफ करने मे लगा हुआ था.... और लप्प -लुप्प होते बल्ब की रोशनी और अंधकार मे मैने तीसरा कश खींचा और गुस्से मे, अनजाने मे, ताव मे पूरा दम लगाकर खींच दिया.... और खींचने के बाद जो खासी मुझे आयी.. वो अब तक मुझे याद है.. एक बार को तो वो सीनियर भी फटी मे आ गया की... साला, कही मै मर ना जॉन.. खासते -खासते... इस बार खांसने के साथ-साथ मेरी आँखो से आँसू भी निकल गये और सर भी घूमने लगा.... पर जब सर घुमा तो थोड़ा मजा सा भी आया...
"तेरे कितने राउंड हुए बे.."उसने बी. एच. यू. से पूछा
"80...." हान्फते हुए भूपेश ने जवाब दिया,
"बेटा अभी तो आधे भी नही हुए,...खैर, आज के लिए इतना ही काफ़ी है, कल फिर मिलेंगे...."
उसका रूम से बाहर जाते ही मैं और बी. एच. यू. बिस्तर पर लेट कर हांपने लगे.....
"पेल.... पेल ...."बी. एच. यू. बस इतना बोल पाया और हांपने लगा,
"क्या पेल पेल कर रहा है बे..."
"पूरा पिछवाड़ा पेल दिया साले ने, चक्कर आ रहा है, पानी....पानी..."वो फिर हांपने लगा....
"इधर तो सर ही घूम रहा है...."अपना सर पकड़ कर मैं बोला...
"सिगरेट का असर ज़्यादा देर तक नही रहता, डॉन'ट वरी..."अरुण दबी मे बोला
"वरी गयी माँ पेलाने , तू जा दौड़कर पानी ला..."
अरुण के वहाँ से जाने के बाद मैं bhu की तरफ मुड़ा, वो अपने सर को छत की तरफ किए हुए हाँफ रहा था....
"क्यूँ बेटा, क्या हाल है...मज़ा आया.."
"बहुत मज़ा आया, दोबारा करने का मन कर रहा है...."
"जब से कॉलेज मे आया हूँ, साला सब मार के चले जाते है, अब दीपिका मैम को ही ले ले, आज लैब मे साली ने मेरा हाथ अपने वहा से टच करा दिया...."
"क्यायायायाया ...."उसने जैसे ही ये सुना उसकी सारी थकान दूर हो गयी और वो तुरंत कुढ़कर मेरे पास आकर बोला" भाई, थोड़ा देख के..... दीपिका मैम के बहुत चर्चे है कॉलेज मे , इसलिए ज़रा संभाल कर...एक बार जिसको ताड़ लेती है, उसे पहले पहल तो खूब मजा देगी पर फिर सजा भी उतना ही देती है... ऐन मौके पर अपना रंग बदल देती है वो... ..साली, करैक्टर लेस औरत .."
"तुझे कैसे पता..."मैने बी. एच. यू. से सवाल किया.. क्यूंकि उसके अंदर मुझे जलन साफ झलक रही थी.
"मेरा एक दोस्त सेकेंड ईयर मे है, उसी ने बताया दीपिका के जलवे के बारे मे, उसने ये भी बताया कि इसी वजह से उसको लास्ट ईयर कॉलेज से निकालने भी वाले थे...लेकिन फिर HOD और उसके बीच शायद कुछ हुआ की........ समझ गया ना..? लेकिन तू फिकर मत कर, तुझे वो छोड देगी..."
"ऐसे कैसे छोड देगी..."
"तेरे मे वो बात ही नही है, वो उन्ही लड़को के साथ सेट्टिंग करती है जो हैंडसम हो..."
"साला, खुद को देखा है तूने भोपू..? नाम के साथ -साथ तेरी शक्ल भी ख़राब और मुझे बोल रहा है. साला, खुद तो बावरची लगता है और..... चल भाग यहाँ से..."
इस समय bhu के उपर मेरा दिमाग़ पूरा टनका हुआ था...साला मुझे बोल कैसे सकता है कि दीपिका मैम मुझसे नही पट सकती....अरुण जब बहुत देर तक पानी लेकर नही आया तो हम दोनो ही बाहर निकले, मैने ये अंदाज़ा लगाया था कि हॉस्टल मे हमारे रूम के बाहर बाकी लड़के झुंड बनाकर खड़े होंगे और हमसे पुछेन्गे कि सीनियर्स ने हमारी रैगिंग कैसे ली...लेकिन उस वक़्त वहाँ कोई नही था और जब आस-पास के रूम से जानी पहचानी आवाज़ जैसे कि थप्पड़, गालियाँ...आई तो मैं समझ गया कि ये सब झेलने वाला मैं अकेला नही हूँ....और सबसे ज़्यादा सुकून मुझे इस बात से मिल रहा था कि अब कोई मुझे ये नही कहेगा कि मैं डरपोक हूँ, क्यूंकी उस वक़्त तो सभी डरपोक थे...... सभी सीनियर्स के लात -घुसे बड़े प्रेमपूर्वक स्वीकार कर रहे थे.
"कहाँ मर गया था बे..."वॉटर कूलर की तरफ जाते हुए हमे अरुण मिला लेकिन उसके हाथ मे पानी का बोतल नही था और वो हाँफ भी रहा था....
"कुछ सीनियर ने पकड़ लिया था..."अपने घुटनो पर हाथ रखकर हान्फते हुए वो बोला"जा... अब तू मेरे लिए पानी लेकर आ...."
"बोतल तो आप ले गये थे..."
"वॉटर कूलर के पास जो ग्लास रखा होगा, उसी मे ले आ...."और लड़खड़ाते हुए अरुण रूम की तरफ जाने लगा .....
मेरी और bhu की हालत तो फिर भी ठीक थी ,लेकिन अरुण बिस्तर पर लेटा उल्टी साँसे भर रहा था.....
"अबे गर्ल्स हॉस्टल मे कैसी रैगिंग होती होगी..."
bhu वैसे शकल से तो लोलु दिखता था, लेकिन ट्रिक बड़ी धाँसू लगता था,.....
"मेरे ख़याल से सीनियर गर्ल्स, जूनियर गर्ल्स को कोई चीज देती होंगी.. ठीक उसी तरह जैसे कुछ देर पहले तुझे उसने सिगरेट दी थी पीने के लिए.. लड़किया भी देती होंगी.. पर पीने के लिए नही 😁😁 ..."bhu के इन अनमोल शब्दो ने मेरा और अरुण का रोम-रोम खड़ा कर दिया.....
"पागल है क्या बे, ऐसा थोड़े होता है..."मैने ऐसा जानबूचकर इसलिए कहा ताकि संस्कारी bhu अपने शुद्ध दिमाग़ से और भी ऐसे ख़यालात बुने, जिससे की हमारा रोम-रोम खड़ा हो जाए.....
"अबे किसी प्राइवेट कॉलेज मे तो सीनियर लड़के, रैगिंग ले रहे थे लड़कियों की ....लेकिन फिर पोलीस केस बन गया.."
फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट होने के नाते मुझे वैसे अच्छी बाते करनी चाहिए थी, लेकिन मेरा ठरकी दिमाग़ उस वक़्त पूरे लय मे था और मै भी.....
"जिस कॉलेज मे ये हुआ, उस वक़्त वहाँ फर्स्ट ईयर के लड़के भी मौजूद थे क्या..."मैने सवाल किया और बेसब्री से जवाब का इंतज़ार करने लगा....
"तेरा मतलब ,जब फर्स्ट ईयर की लड़कियो के साथ जबरदस्ती वो सब किया जा रहा था तब..."
"हां...हां, उसी वक़्त..."
"मालूम नही "
"साले ने पूरा मजा किरकिरा कर दिया "
"मैं तो गर्ल्स हॉस्टल जाउन्गा..."अरुण की साँस सीधी चलने लगी तो वो भी हमारी ज्ञान देने वाली बातो मे शामिल होते हुए बोला....
"क्या करेगा वहाँ जाकर सीनियर्स की चाटेगा क्या ...."
"नही बे, सुनने मे आया है कि कुछ लड़के हमेशा गर्ल'स हॉस्टल मे अपनी सेट्टिंग से मिलने - जुलने जाते रहते है, छिपकर ....तो क्यूँ ना अपुन लोग भी चले..अरमान तू क्या बोलता है..."
""कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."
"जी भाई..."
"अबे किधर मर गया..."मेरे कंधो को ज़ोर से हिलाते हुए अरुण ने मुझसे दोबारा पुछा...जिसके लिए मैने तुरंत ना कर दी और प्लान ये बना कि मौका देखते ही अरुण और bhu गर्ल'स हॉस्टल मे जाएँगे और मैं यहीं रूम मे पड़ा-पड़ा मक्खिया मारूँगा.....
Sana Khan
01-Dec-2021 02:03 PM
Good
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Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:09 PM
Nice part
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Barsha🖤👑
25-Nov-2021 05:15 PM
रोंगटे खड़े हो गए सर..रैगिंग का पढ़कर
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